कौशल-जीवन -६
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उस शाम जब सुरेश घर आया तो वह बेहद ग़ुस्से में था, आते ही उसने पूछा अमर कहाँ है?
विमला ने बताया कि वह तो संजय की बहन को छोड़ने उसके घर गया है, वह महादेव घाट आई थी , तो मैंने ही उसे घर ले आयी और बातचीत में अंधेरा हो गया तो मेरे ही कहने पर अमर उसे घर छोड़ने गया है। लेकिन हुआ क्या है? आप ऐसे ग़ुस्से में क्यों हैं?
विमला की बात सुन सुरेश का ग़ुस्सा ग़ायब हो गया था। उसने हँसते हुए कहा कि किसी ने उसे बताया कि अमर किसी लड़की के साथ घूम रहा है, तो मुझे ग़ुस्सा आ गया।
इसके बाद दोनो देर तक हँसते रहे। तभी सुरेश गम्भीर होते हुए बोला ये उम्र ही ऐसी है , जब लड़के बहक जाते हैं, आजकल तो देख ही रहे हो ज़माना कैसा चल रहा है , आए दिन ऐसी ख़बरें आते रहती है। इसलिए मुझे ग़ुस्सा आ गया था, इस पर विमला बोली मेरे बच्चों पर मुझे पूरा भरोसा है वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे हमें सर झुकाना पड़े।
सुरेश ने कहा इसमें सर झुकने की बात नहीं है , लेकिन सावधानी ज़रूरी है।
तभी विजय छत से नीचे उतरते हुए कहा कि इस बार गर्मी की छुट्टियों में कोई नई जगह जानी चाहिए। उसका समर्थन ज़रने सुहासिनी भी कमरे से बाहर आ गई। तो सुरेश ने कहा ठीक है लेकिन इस बार कहाँ जाना है ये सुहासिनी तय करेगी । इतने में अमर भी आ गया और उसे जैसे ही घूमने के कार्यक्रम का पता चला तो उसने सुहासिनी से कहा की इस बार धार्मिक स्थल की बजाय कहीं और चलेंगे तो सुहासिनी ने कहा कि जगह मुझे तय करनी है इसलिए कोई कुछ नहीं कहेगा ।
इस पर अमर चिढ़ते हुए बोला धार्मिक स्थल तय कटोगी तो मैं नही जाने वाला । इस पर विजय ने बीच में कहा ऐसा करते है कि दोनो की बात रह जाय।
बच्चों में यह प्यार देख विमला की आँखे भर आई, लेकिन उसने इसका पता नहीं लगने दिया । थोड़ा सा मुँह घुमाकर पल्लू से आँख के कोर में आ गए आँसू को पोछते हुए कहा -तुम लोग तय करो मैं तो किचन में चली।
थोड़ी देर में सुहासिनी भी किचन में आ गई और कहा कि उस बार कश्मीर देखने की इच्छा है और लौटते में माता वैष्णोदेवी का दर्शन भी हो जाएगा। लेकिन विमला ने सिरे से नकारते हुए कहा कि इतनी दूर नहीं जाएँगे क्योंकि इसी समय मायके में भी शादी है , लगन की तारीख़ तय है और सभी को कम से कम सप्ताह भर रुकना ही पड़ेगा।
सुहासिनी ने जब यह बात अपने भाइयों को बताई तो सब का मूड उखड़ गया और वे उदास हो गए। शाम को जब सुरेश घर आया तो घर में सन्नाटा देख उसे अजीब सा लगा, लाईटे तक ठीक से नहीं जलाई थी । जब सुरेश को कारण का पता चला तो उसने कहा कार्यक्रम तय हो चुका है तो जाएँगे हाँ सब शादी से लौटने के बाद जाएँगे। सुरेश के कहने के बसड एक बार फिर बच्चों के चेहरे खिल उठे।
सप्ताह भर बाद ही सभी को विमला का मायका कांकेर जाना था। बच्चे पहले भी जा चुके थे लेकिन इस बार चार साल बाद जाने का मौक़ा लगा था । सफ़र के बाद जब वे कांकेर पहुँचे तो सब कुछ बदल चुका था। वह पूरी तरह शहर का रूप ले चुका था । आदिवासी समाज में भी बदलाव महसूस किया जा सकता था । शहर से लगे जंगल में शाम को घूमने का कार्यक्रम भी तय हो गया । शादी समारोह में अन्य रिश्तेदारों की मौजूदगी के कारण समय का पता ही नहीं चल रहा था ।
एक शाम सब घूम फिरकर लौटे तो विजय साथ नहीं था, सबने सोचा विजय घर लौट गया होगा सुर जब घर में भी विजय नहीं मिला तो उसे ढूँढा जाने लगा । विजय डेढ़ दो घंटे बाद लौटा तो एकदम चुप था। उसने कहाँ चले गए थे के सवाल पर भी चुप्पी नही तोड़ी। चूँकि शादी के माहौल में कोई कांझट नहीं चाहते थे इसलिए उससे ज़्यादा पूछताछ नहीं हुई ।
शादी निपट गया , सभी मेहमान लौटने लगे थे । लेकिन विजय ने यह कह कर लौटने से मना कर दिया कि वह कुछ दिन यहीं रहेगा , उसे यहाँ अच्छा लग रहा है , विमला ने साथ चलने की ज़िद की तो विजय के मामा ने यह कहते हुए विजय को रोक दिया कि अगले हफ़्ते जब वो रायपुर आएगा तो ले आएगा।
विजय को छोड़कर जाने की इच्छा किसी की नहीं थी। सुहासिनी ने कश्मीर जाने की योजना का हवाला दिया तो उसने बेरुख़ी से कह दिया चाहें तो वे लोग उसके बग़ैर जा सकते हैं। लेकिन सुहासिनी इसे मज़ाक़ समझ ली और फिर विजय को कांकेर में ही छोड़ सब रायपुर आ गए।
सप्ताह कैसे बिता पता ही नहीं चला। लेकिन विजय लौटने का नाम नहीं ले रहा था । मामा रायपुर गए तब भी वह नहीं लौटा । इधर विजय दिन भर तो घर में रहता लेकिन शाम होते ही घर से निकलकर जंगल की ओर चला जाता। जहाँ वह जंगली जानवरो व पंछियों से बातें करता। इस बीच उसमें शारीरिक परिवर्तन भी दिखने लगा। शरीर बलशाली होने लगा था। हाथों की कलाइयाँ तो चौड़ी हुई ही हथेली भी मांसल और कुछ बड़ी हो गई। यही नहीं विजय के जानवरो से बातचीत के चर्चे भी होने लगे और कई लोग इसे कौतुहल नज़र से देखते तो कुछ इसे जादू टोंना से जोड़ने लगे थे।
यह बात जब फैलते-फैलते विजय के ननिहाल तक पहुँचा तो वे भी हैरान हो गए और उसे वापस रायपुर लौटने का दबाव बनाने लगे। यहाँ तक कि गर्मी की छुट्टी समाप्त होने वाली थी। खेती किसानी का मौसम आ रहा था। रात रात भर खेतों में गाड़ा से खाद डाले जाते थे, स्कूल कालेज शुरू होने वाला था तब भी वह रायपुर लौटने तैयार नहीं था , ऐसे में स्वयं सुरेश को आना पड़ा और उसे बड़ी मुश्किल से रायपुर लाया गया।
विजय रायपुर तो आ गया लेकिन वह ज़्यादातर अकेले रहने लगा। सुबह शाम वह महादेव घाट चला जाता था। चूँकि सुरेश को उसके बंदरो से बातचीत के क़िस्से मालूम था इसलिए विजय पर निगाह रखी जाने लगी।
एक दिन सुबह-सुबह विजय जब घाट की ओर निकला तो सुरेश भी उसके पीछे लग गया । अक्सर सुरेश ऐसे ही उसका पीछा करता था और सब कुछ सामान्य देख मन को दिलासा देते लौट जाता था। कुछ दिनो बाद ही बारिश का मौसम आ गया , पढ़ाई शुरू हो गई । बच्चें पढ़ने में व्यस्त हो गए । कश्मीर दौरा स्थगित होने से अमर सर्वाधिक नाराज़ था । अक्सर अमर घर में चर्चा के दौरान कश्मीर नहीं जाने को लेकर नाराज़गी दिखाता और सारा दोष विजय पर मढ़ता था। जबकि सुहासिनी ऐसे मौक़ों पर अगली बार कहकर माहौल को संभाल लेती थी।इस तरह से कुछ न कुछ कारण से दो साल और टल गया। अब तो कोई कश्मीर जाने का नाम ही नहीं लेता था । अमर एक बार फिर दुकान जाने लगा तो विजय को मेडिकल की पढ़ाई के लिए इंदौर जाना पड़ा । सुहासिनी अब बड़ी दिखाई देने लगी तो अमर और सुहासिनी की शादी की बात भी होने लगी।
समय अपनी रफ़्तार पकड़ चुका था, और गुज़रते वक़्त का किसी को पता नहीं था। एक दिन जब अमर ने अपनी पसंद की लड़की से शादी करने का प्रस्ताव विमला के सामने रखा तो वह फट पड़ी। और साफ़ शब्दों में कह दी कि यह संभव ही नहीं है। और यदि उसने अपनी मर्ज़ी से कुछ किया तो समाज में सुहासिनी की शादी में दिक़्क़त आ जाएगी इसलिए वह ऐसा कुछ न करे।
अभी इस बात को सप्ताह भर भी नहीं हुआ था कि सुहासिनी एक दिन अचानक घर से ग़ायब हो गई, और दूसरे दिन पता चला कि वह बैरन बाज़ार स्थित आर्य समाज मंदिर में किसी से शादी कर ली है।
विमला तड़फ उठी, उसने अपने को ख़ूब कोसा, सुरेश भी हैरान था कि सुहासिनी ने किसी को भनक तक लगने नहीं दी। और ग़ुस्से में उसने घर आने पर प्रतिबंध ही नहीं लगाया बल्कि यह भी कह दिया कि वह उनके व परिवार वालों के लिए मर चुकी है।
अमर ने समझाने की कोशिश की तो वह उस पर ही फट पड़ा और यहाँ तक कह दिया कि सुहासिनी से जो भी सम्पर्क रखेगा , उसके लिए घर के दरवाज़े बंद हो जाएँगे।
कहते है समय के आगे किसी की नहीं चलती। विजय एमबीबीएस करने के बाद एमडी की पढ़ाई में जुट गया तो अमर ने तमाम आने वाले रिश्तों को यह कहकर ठुकराना शुरू कर दिया कि उसे शादी ही नहीं करनी है। लेकिन उसने विमला से यह ज़रूर कहा था कि वह शादी करेगा तो उसी लड़की से करेगा जिससे वह प्यार करता है । और विमला की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह यह बात सुरेश से कहे।
उधर विजय सरलता के झंडे गाड़े जा रहा था। वह सेमेस्टर दर सेमेस्टर न केवल स्वर्णपदक ला रहा था बल्कि उसके शोध को लेकर भी भारी चर्चा थी। और उसे जर्मनी और अमेरिका से बुलावा आने लगा। विजय अपने शोध को लेकर अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बटोर रहा था। विमला और सुरेश इस सफलता से ख़ुश थे तो अमर का व्यवहार लगातार रखा होता जा रहा था।
उधर जब विजय का चयन अमेरिका में हुआ तो इसकी गूँज रायपुर के अख़बारों में होते हुए रायपुरा के मोहल्ले में सुनाई दी । सुरेश भी पूरे मोहल्ले को मिठाई खिलाकर ख़ुशी मना रहा था।
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